जानिए कैसे हमें अपने बच्चों के सवालों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें सही जानकारी देने का प्रयास करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस वेब स्टोरी में एक मां के दिल की भावनाओं को बयां किया गया है जो उसके बच्चे के अनसुलझे सवालों के सामना कर रही है। इससे बच्चे और माता-पिता दोनों को सही रास्ते पर ले जाने में मदद मिलेगी। एक अच्छे माता-पिता के रूप में हमारे बच्चों का मार्गदर्शन करना हमारी जिम्मेदारी है।
पाँच-छः साल के सोनू ने अपनी माँ से पूछा – “माँ, ये सेक्स क्या होता है?” उसकी मम्मी चौक गयी। की सोनू ने ये सब कहा से सीख लिया। उसके माँ के दिमाग में अनेक प्रकार के विचार आने लगे।
फिर माँ गुस्से में बोली – “सोनू, क्या बकवास है? तू कैसे-कैसे बच्चों के संग रहने लगा है? क्या-क्या देखता रहता है? आने दे शाम को अपने बाप को… आज तेरी कुटाई ना करवाई, तो देखना!”
सोनू मायूस सा हो गया। वह लैपटॉप पर काम करती अपनी बड़ी बहन के पास गया – “दीदी, यह सेक्स क्या होता है?”
“क्या? तेरा दिमाग खराब है? पढ़ता लिखता नहीं है क्या तू? आने दे पापा को। मैं तेरी शिकायत करती हूं!” – बहन ने कहा।
फिर सोनू डरते हुए अपने बड़े भाई के पास पहुंचा – “भैया, भैया! सेक्स क्या होता है?”
भाई ने कहा – छोटे, तेरा दिमाग तो सही है। आजकल यही पढ़ रहे हो क्या स्कूल में ? पागल कही का। चुप हो जा।
शाम को पापा के आने पर सब लोग हॉल में इकट्ठा हुए …… सभी सोनू की शिकायत करने ही वाले थे।
सोनू ने सभी के मुंह देखते हुए अपने पापा से पूछा – “पापा, पापा! यह सेक्स क्या होता है?”
अब तो पापा जी भी सक्पका गए। वे अचंभित होकर बोले – “क्या बकवास लगा रखी है? आजकल यही सब सीख रहा हो क्या तू? तेरी शिकायत करता हूं तेरे टीचर से “
सोनू सभी को देखते हुए बोलता है – “क्या बकवास है! कोई तो बता दो। मैम ने यह फॉर्म भरने को कहा है।… इसमें सेक्स के कॉलम के आगे क्या लिखूं?”
हम सभी को कठिनाईयों से गुजरने का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब हमारे बच्चे हमसे ऐसे मुद्दे पर बात करते हैं। हमें धैर्य से समझना चाहिए और उन्हें सही जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए। हमारे बच्चों को समझाने में हमारा सहयोग और समर्थन बहुत मायने रखता है। उनके सवालों का उचित जवाब देने से हम उन्हें अपनी समाज से जुड़ा हुआ महसूस कराते हैं और उन्हें सही दिशा में नेतृत्व कर सकते हैं।